मगर प्रकृति का यह संचालन मेरे वश में कहां ? मगर प्रकृति का यह संचालन मेरे वश में कहां ?
छाया बसन्त छाया बसन्त
प्रियसी का वंशीधर बनकर तथाकथित समाज को चिढ़ाते हुए खूब निमग्न होकर प्रेम धुन लिए.... प्रियसी का वंशीधर बनकर तथाकथित समाज को चिढ़ाते हुए खूब निमग्न होकर प्रेम ध...
अपनापन अपनापन
रंग भी कितने अजीब होते हैं यूँ तो ये भिन्न भिन्न होते हैं! रंग भी कितने अजीब होते हैं यूँ तो ये भिन्न भिन्न होते हैं!
सब धर्मो के सभी जाति के , भेदभाव को विसारकर। सब धर्मो के सभी जाति के , भेदभाव को विसारकर।